प्रवासी श्रमिकों को हुनर के हिसाब से राज्य में ही काम मिले इसके लिए राज्य सरकार ने कम पूंजी और जमीन पर छोटे उद्योग लगाने के प्रति फोकस बढ़ा दिया है | स्थानीय स्तर पर कच्चे माल पर उपलब्धता, हुनर के आधार पर छोटी - छोटी इकाइयों का कलस्टर ( झुंड ) विकसित करने की योजना बनाई गई है | हर जिले कम से कम ऐसे दो कलस्टर विकसित होंगे | इसके चयन की जिम्मेदारी जिला उद्योग केन्द्रो के महाप्रबंधकों को दी गई है | पहले से चल रहे कलस्टर किस तरह काम करे इसके बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है उद्योग मंत्री श्याम रजक ने कहा की सरोजगार की दिशा में लोग आगे बढे इस निति पर अमल किया जा रहा है | लोगो को एक तरह के उद्योग एक ही जगह लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, ताकि सरकार उन्हें कॉमन फैसिलेशन सेंटर बनाने में मदद कर सके |
दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सहरसा, सुपौल, सीतामणी, पूर्णिया, कटिहार आदि जिलों में भी मखाना का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है | प्रोसेसिंग की यूनिट पूर्णिया और कटिहार में है | कटिहार में मखाना कलस्टर प्रस्तावित भी है | प्रधान मंत्री राहत कोष से मखाना कलस्टर के लिए १००० करोड़ का प्रावधान किया गया है | के कुल उत्पादन का ९० फीसदी होता है |
क्लस्टर में उधमियों को ये सुविधाएं मिलती हैं
क्लस्टर में सर्कार जरुरी इंफ्रास्ट्रक्चर और कॉमन फैसिलेशन सेंटर ( सीएफसी ) बनाकर उधमियों को देगी | उधमियों को सारी सुविधाएं एक जगह उपलब्ध होग़ी | यानी जरूरी मशीने जो सामान्य उधमियों के लिए खरीद पाना संभव नहीं है, उससे सरकार उपलब्ध करवाती है | जहां जाकर उधमी इन मशीनों का उपयोग अपने उत्पाद के बेहतरी के लिए करते है | राज्य सरकार लघु उधोगों का का एक ऐसा समूह तैयार करना चाहती है, जो आने वाली चुनौतियों का सामना कर सके |
पटना सिटी का एलईडी क्लस्टर
एलईडी क्लस्टर के लिए लगातार काम कर रहे पटना सिटी के आरके जायसवाल बताते है की बिहार सर्कार की महत्वाकांक्षी एलईडी क्लस्टर योजना की पिछले दो साल से डीपीआर भी नहीं तैयार हुई है | अगर यह क्लस्टर विकसित हो जाय राज्य के उधमी ना केवल बिहार बल्कि पुरे देश में एलईडी बल्ब की आपूर्ति कर सकते है |
राज्य में अभी क्लस्टर की क्या है स्तिथि
कुछ जगहों को छोड़ दे तो राज्य में क्लस्टर की स्तिथि अभी बहुत अच्छी नहीं है | पटना में पीतल, नालंदा में लेदर,झूला व सिलाव, भागलपुर व गया में हैंडलूम, पश्चिमी चम्पारण में ताम्बे और कांसे बर्तनो और मधुबनी में हस्तशिल्प क्लस्टर में थोड़ा बहुत काम हो रहा है | अन्य स्थानों की स्थिति अच्छी नहीं है | झूला क्लस्टर के एमडी विजय विश्वकर्मा बताते है की भवन बनकर तैयार है, कुछ मशीने भी आ गई है और कुछ आना बाकि है |
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एमएसएमई |
क्लस्टर में सर्कार जरुरी इंफ्रास्ट्रक्चर और कॉमन फैसिलेशन सेंटर ( सीएफसी ) बनाकर उधमियों को देगी | उधमियों को सारी सुविधाएं एक जगह उपलब्ध होग़ी | यानी जरूरी मशीने जो सामान्य उधमियों के लिए खरीद पाना संभव नहीं है, उससे सरकार उपलब्ध करवाती है | जहां जाकर उधमी इन मशीनों का उपयोग अपने उत्पाद के बेहतरी के लिए करते है | राज्य सरकार लघु उधोगों का का एक ऐसा समूह तैयार करना चाहती है, जो आने वाली चुनौतियों का सामना कर सके |
पटना सिटी का एलईडी क्लस्टर
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एमएसएमई |
एलईडी क्लस्टर के लिए लगातार काम कर रहे पटना सिटी के आरके जायसवाल बताते है की बिहार सर्कार की महत्वाकांक्षी एलईडी क्लस्टर योजना की पिछले दो साल से डीपीआर भी नहीं तैयार हुई है | अगर यह क्लस्टर विकसित हो जाय राज्य के उधमी ना केवल बिहार बल्कि पुरे देश में एलईडी बल्ब की आपूर्ति कर सकते है |
राज्य में अभी क्लस्टर की क्या है स्तिथि
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एमएसएमई |
कुछ जगहों को छोड़ दे तो राज्य में क्लस्टर की स्तिथि अभी बहुत अच्छी नहीं है | पटना में पीतल, नालंदा में लेदर,झूला व सिलाव, भागलपुर व गया में हैंडलूम, पश्चिमी चम्पारण में ताम्बे और कांसे बर्तनो और मधुबनी में हस्तशिल्प क्लस्टर में थोड़ा बहुत काम हो रहा है | अन्य स्थानों की स्थिति अच्छी नहीं है | झूला क्लस्टर के एमडी विजय विश्वकर्मा बताते है की भवन बनकर तैयार है, कुछ मशीने भी आ गई है और कुछ आना बाकि है |
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