किराना दुकानों के भरोसे 50 लाख करोड़ के बाज़ार पर अंबानी -बेजोस जैसे अमीरों का दांव

दुनियाभर के रईस देश के फूड और किराना बाजार में निवेश कर रहें हैं। 
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दुनियाभर के रईस देश के फूड और किराना बाजार में निवेश कर रहें हैं। 
  • फ्लिफ्कार्ट क्विक जरिए लोकल दुकानें दे रही हैं 90 मिनट में डिलीवरी
  • अमेजन ने भी शुरू किया है स्थानीय दुकानदार जोड़ने का नया कार्यक्रम 
दुनिया के शीर्ष अमीरों की निगाह भारतीय फूड और किराना बाजार पर है। बीते सफ्ताह देश के सबसे आमिर शख्स मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस रिटेल ने फ्यूचर ग्रुप के रिटेल बिजनेस को । वहीं दूसरी तरफ जब जिओ और फेसबुक की डील हुई तो दुनिया के सबसे आमिर शख्स जेफ बेजोस की अमेजन ने स्थानीय दुकानदारों को जोड़ने का एक नया कार्यक्रम लॉन्च किया। 

कंपनी पहले भी स्थानीय दुकानदारों के लिए कई बड़े कार्यक्रम चला रही थी मेट्रो कैश एंड कैरी के अनुसार देश में फुड और किराना का बाजार 50 लाख करोड़ रु. ( 700 अरब डॉलर ) का है। विशेषज्ञों के अनुसार यही कारण है जो बड़े उद्योगपतियों को आकर्षित कर रहा है लेकिन रोचक बात यह है की इसमें अभी भी छोटे दुकानदारों का बोलबाला है। फूड और किराना बाजार में संगठित क्षेत्र की हिस्सेदारी महज 10% ही है, जबकि 90% कब्ज़ा स्थानीय दुकानदारों का ही है। मार्केट रिसर्च फर्म फोरेस्टर रिसर्च के मुताबिक इस वर्ष ऑनलाइन ग्रॉसरी का मार्केट बीते वर्ष के मुकाबले 76% बढ़कर करीब तीन अरब डॉलर ( 22,500 करोड़ रुपये ) पर पहुँच जाएगा। 

-कॉमर्स कंपनियों को सलाह देने वाली कंपनी टेक्नोपैक कंसल्टिंग के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट अंकुर बिसेन कहते हैं की मर्जर और प्रतिस्पर्धा की जो खबरें आ रही हैं वह सेक्टर की छोटे से हिस्से की बात है। किराना व्यपारियों को डरने की आवश्यकता नहीं है। मॉडर्न रिटेलर्स स्थानीय व्यपारियों के महत्त्व को समझ गए हैं और वे अब उनके साथ अलग-अलग तरह से मिलकर कार्य कर रहे हैं। 

बड़ी कंपनियां ऐसे दुकानदारों को जोड़ रही हैं  
वालमार्ट - 27 हजार दुकानदारों से टाइअप 
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            वालमार्ट - 27 हजार दुकानदारों से टाइअप 
                                                           

सबसे
बड़ी रिटेल कंपनी वालमार्ट फ्लिपकार्ट के जरिए स्थानीय किराना स्टोर्स से टाइअप कर रही है। फ्लिपकार्ट का 700 शहरों में 27 हजार से ज्यादा छोटे-बड़े स्टोर्स से टाइअप है। फ्लिपकार्ट के चीफ कॉर्पोरेट अफेयर्स ऑफिसर रजनीश कुमार कहते हैं की 'हम फ्लिपकार्ट क्विक के जरिए 90 मिनट में ऑर्डर की हुई चीज ग्राहकों तक पहुंचा रहें हैं। यह स्थानीय दुकानदारों से संभव हो पा रहा है।' 

अमेजॉन - प्रोजेक्ट से जुड़ गए 5 हजार से ज्यादा दुकानदार 
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अमेजॉन - प्रोजेक्ट से जुड़ गए 5 हजार से ज्यादा दुकानदार 

जियो-फेसबुक डील के अगले दिन ही अमेजॉन ने 'लोकल शॉप्स ऑन अमेजॉन' शुरुआत की। इसमें छोटे दुकानदार अपने उत्पाद अमेजॉन पर लिस्ट सकते हैं। इसके प्रोजेक्ट के लिए मई 2020  तक ही 5 हजार से दुकानदार ने लिस्ट कर लिया है। पहले भी अमेजॉन छोटे दुकानदारों के लिए कार्यक्रम चलाता रहा है। 

जिओमार्ट - वाट्सएप पर लोकल दुकानदारों को आर्डर दीजिए 
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जिओमार्ट - वाट्सएप पर लोकल दुकानदारों को आर्डर दीजिए 

फेसबुक ने रिलायंस जिओ की 9.9% हिस्सेदारी खरीदी है। इस डील के बाद ग्राहक जिओमार्ट और वॉट्सऐप की मदद से ज्यादा बेहतर खरीदारी कर पाएंगे। जिओमार्ट पर छोटे दुकानदार अपना रजिस्ट्रेशन करवाकर ऑनलाइन सामान बेच सकते हैं। ग्राहक वॉट्सऐप के जरिए अपने क्षेत्र के दुकानदारों को ही आर्डर कर पाएंगे। ये दुकानदारों को 48 घंटे में ही डिजिटल  प्लेटफार्म पर ले आते हैं। 

मेट्रो - पीओएस उपलब्ध करा रही, 8 लाख दुकानदार जुड़े 
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मेट्रो - पीओएस उपलब्ध करा रही, 8 लाख दुकानदार जुड़े 

जर्मन कंपनी मेट्रो कैश एंड कैरी देश में करीब 27 होलसेल स्टोर चला रही है। यहां से 8 लाख छोटे-बड़े दूकानदार थोक में सामान खरीद रहें है और उन्हें बेच रहे हैं। मेट्रो देशभर में अपने स्मार्ट किराना प्रोग्राम के जरिए किराना कारोबारियों को पीओएस डिजिटल पेमेंट जैसी सुविधाएं दे रही हैं। दुकानदार एप के जरिए कॉन्टेक्टलेस खरीदारी भी कर सकते हैं। 

इस तरह भी डिजिटल हो रहे हैं देश के छोटे-बड़े दुकानदार  
बेंगलुरु बेस्ड इस स्टार्टअप महेंद्र सिंह जैसे लोगों ने निवेश किया है। खातबूक एप का इस्तेमाल 1 करोड़ से ज्यादा व्यापारी कर रहे हैं। यह व्यापारियों को डिजिटल लेजर मेनटेन करने की सुविधा देता है। 10 हजार से ज्यादा कस्बों -शहरों में इस्तेमाल हो रहा है। इसी तरह जंबोटेल, रसीदबुक आदि एप्स और प्लेटफार्म हैं जो देशभर के छोटे दुकानदारों को अलग-अलग सुविधाएं उपलब्ध करवाकर उनके बिजनेस को डिजिटल रूप दे रहे हैं। 

देश के संगठित व्यापार में विभिन्न कंपनियों की हिस्सेदारी 
रिलायंस ( फ्यूचर रिटेल को मिलकर )   27-30 %
वालमार्ट                                              4%
डिमार्ट                                                18-20%
बिग बास्केट                                        4%
मेट्रो कैश एंड कैरी                               4%
ग्रोफर्स                                                2.5-3%
स्पेंसर, स्टार बाजार, स्पार,मोर             10-11%
रीजनल रिटेलर्स/सरकारी कैंटीन, अन्य  25%

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कार्टा कंपनी के फाउंडर हेनरी वार्ड की कहानी। 300  निवेशकों ने इनके पहले  स्टार्टअप में पैसा लगाने से किया था इनकार। 

कार्टा किसी नई कंपनी को फण्ड जुटाने। मालिकाना हक तय करने। और इक्वीटी मैनेज करने में मदद करती है।

 नई स्टार्टअप को हेनरी वार्ड की सलाह। किसी इन्वेस्टर को मनाने से बेहतर है की ऐसा इन्वेस्टर खोजो जिसे आपके आईडिया में यकीन हो।

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हेनरी वार्ड 

किसी स्टार्टअप के लिए जरुरी है। की उसे पर्याप्त निवेश मिले लेकिन इन्वेस्टर को किसी नई आईडिया में पैसा  लगाने के  लिए राजी करना  काफी मुश्किल काम होता है। ऐसी ही मुस्किले 2011 में हेनरी वार्ड को भी झेलनी पड़ी थी। कैपिटल मार्किट फाइनेंस  से मास्टर्स की डिग्री हासिल करने वाले हेनरी ने 8  साल तक अलग अलग सॉफ्टवेर कम्पनियो में काम किया। इसके बाद वे 2011 में अपना स्टार्टअप शुरू  करने की कोशिश  की रिटेल इन्वेस्टर्स के पोर्टफोलियो को मैनेज करने के मकसद से उन्होंने।  सेकंड साइट  नाम की कम्पनी शुरू की। लेकिन वे इसके लिए फण्ड नहीं जुटा  सके। उन्होंने करीब 300 इन्वेस्टर्स से सम्पर्क किया लेकिन। सबने मना कर दिया क्लिक कर पूरा पढ़ें।   

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Aslam Faruki

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