बख्तियार खिलजी के मकबरे के अस्तित्व पर मंडराने लगे हैं संकट के बादल
धुल और गंदगी से धीमी पड़ने लगी है बेशकीमती पत्थरों की चमक
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बख्तियार खां का मकबरा पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है |
कैमूर पहाड़ी के गोद में बसे चैनपुर प्रखंड के ऐतिहासिक धरोहर एवं विख्यात पर्यटन स्थल बख्तियार खिलजी के मकबरे के अस्तित्व पर अब संकट के बादल मंडराने लगे हैं। विदित हो की प्रखंड में ऐतिहासिक धरोहर के रूप में विख्यात बख्तियार खिलजी का मकबरा, सूफी संत उस्मान शाह की मजार, प्राचीन महावीर मंदिर तथा माडना के पहाड़ी पर स्थित बारहदरी को देखने के लिए हर साल सैकड़ो पर्यटन आते हैं।
बारहदरी धराशाही होने के कगार पर
लेकिन इस पहाड़ी पर तेजी से हो रहे पत्थरों के उत्खनन के कारण पहाड़ी पर स्थित बारहदरी धराशाही होने के कगार पर पहुँच गया है। जबकि उत्खनन के दौरान उड़ने वाले डस्ट के चलते अफगानी सल्तनत के इस बेजोड़ नमूने में जेड बेशकीमती पत्थरों की चमक अब धीमा पड़ता जा रहा है।
हालांकि इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पटना अंचल द्वारा स्मारक तथा पुरातत्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम 1958 के तहत राष्ट्रीय महत्व का घोषित किया जा चुका है। जबकि 1959 के उप नियम 32 तथा 1992 में जारी अधिसूचना के तहत उक्त समर की सीमा से 200 मीटर तक का क्षेत्र निषिद्ध घोषित है।
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अफगानी सल्तनत के इस बेजोड़ नमूने में जेड बेशकीमती पत्थरों की चमक |
जिसमे किसी प्रकार के निर्माण या खनन की अनुमति नहीं है। बावजूद इसके पत्थरों के उत्खनन से एक ओर जहां उक्त प्राचीन स्मारक की अस्मिता खतरे में पड़ गई है। मदुरना पहाड़ी पर जारी पत्थरों का उत्खनन वन एवं पर्यावरण को प्रभावित कर रहा है।
प्रखंड क्षेत्र में बख्तियार खां का मकबरा पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। लेकिन सुविधाओं के अभाव से पर्यटकों की रूचि यहां के प्रति कम हो गई। इस मामले को अख़बार ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था।
खबर प्रकाशित होने के बाद कुछ समय पहले डीएम साहेब बख्तियार खां के मकबरे का निरिक्षण किया दरवान ने बताया गुरुवार और शुक्रवार को 5000 से अधिक पर्यटक आते हैं। डीएम ने पर्यटकों के लिए विश्राम गृह, शौचालय सहित अन्य आवशयक सुविधा बहाल कर पर्यटक स्थल बनाने की बात कही.
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