अपने विचारों पर पूरा भरोसा रखिए भले दुनिया कहती रहे : आप गलत हैं

अजीम प्रेमजी, जिंदगी में हार और जीत के सबक के बारे में। 

अजीम हाशिम प्रेमजी एक भारतीय बिजनेस टाइकून, निवेशक, इंजीनियर और परोपकारी व्यक्ति हैं, जो विप्रो लिमिटेड के अध्यक्ष हैं। 
आप युवाओं के साथ मिलना हमेशा अच्छा लगता हैजिंदगी की यह बात मजेदार है की आप चीजों की कीमत करना तब शुरू करते हैं, जब वो साथ छोड़ने लागती हैं। अब जब बाल काले - सफ़ेद से सिर्फ सफ़ेद हो रहे हैं तो युवा होने का महत्व समझना शुरू किया है। और इसी दौर में मैंने इस सफर में सीखे कुछ सबक भी सराहने शुरू किये हैं। मुझे लगता है ये आपके भी काम आएंगे सबसे पहली चीज जो मैंने सीखी वो यह है की हमे अपनी मजबूत बातों के साथ ही शुरुआत करनी चाहिए। यह जानना भी उतना ही जरुरी है कि हम किन बातों में अच्छे नहीं हैं, लेकिन जो हममें अच्छा है उसका आनंद जरूर उठाना चाहिए। ऐसा करना इसलिए जरुरी है कि हमारी मजबूत बातें ही कमजोरियों को दूर करने की ताकत बनती हैं। स्कूलिंग के शुरुआती दिनों वर्षों से ही हर कोई उसी बारे में बात करता है कि हममे क्या गलत या कमजोर है। 


एक जरुरी सिख यह भी है की कोई भी सौ में से सौ दांव नहीं जीतता है। जिंदगी में कई चुनौतियां आएंगी। कुछ आप जीतेंगे और कुछ हारेंगे। जित का जश्न जरूर मानना चाहिए, लेकिन उसे सिर पर नहीं चढ़ने देना चाहिए। जैसे ही ऐसा आप करेंगे तो अपनी हार की राह पर होंगे। अगर जीवन में हार मिलती है तो उसे भी सामान्य तौर पर ही लीजिए। इस हार के लिए न खुद को सजा दीजिए न ही दूसरों कों। हार को स्वीकार कीजिए, अपने हिस्से की समस्या से सिख लीजिए और आगे बढ़िए। महत्वपूर्ण यह है की हारने के बाद, उससे सबक सीखना मत छोड़िए।
 विप्रो लिमिटेड

सबसे खास सिख जो मैंने हासिल की वो यह है की अपने विचारों पर पूरा `भरोसा रखिये, फिर भले ही पूरी दुनिया आपको बताती रहे कि आप गलत हैं। अखबार बेचने वाले का किस्सा बताता हूँ। उसका पाला एक खड़ूस ग्राहक से रोज पड़ता था। हर सुबह वो  ग्राहक आता और बिना दुआ - सलाम का जवाब दिए अखबार उठा लेता और पैसा अखबार वाले की तरफ फेंक देता। अखबार बेचने वाला विनम्रता से मुस्कुराते हुए कहता शुक्रिया सर। एक दिन उस अखबार वाले के यहाँ काम करने वाले लड़के ने पूछा की वो आपसे इतने बेरुखे रहते हैं, फिर भी आप विनम्र बने रहते हैं? कल जब वो आएं तो आप भी उनकी तरफ अखबार क्यों नहीं फेकते ?

अखबार वाला मुस्कुराया और विनम्रता से बोला वो अपनी बेरुखी नहीं छोड़ता मैं अपनी विनम्रता, फिर मैं क्यों क्यों उसकी बेरुखी को अपनी विनम्रता पर हावी होने दूँ? मैं भी जब नौजवान था तो खुद को बागी मानता था और कई दफा तो मै बिना किसी वजह के ही बागी हो जाता था। आज मुझे एहसास होता है की मेरे बागी होने में सहमति था। हमे प्रतिक्रिया देने के बजाय जवाब देना सीखना होगा। जब हम जवाब देते है तो शांत दिमाग से आंकलन करते हुए जो सही मसहूस होता है वो कहतें हैं। हम पूरी तरह से आपे में होते हैं जो दुसरा इंसान हमसे करवाना चाहता है। आप सभी को जिंदगी और करियर के लिए शुभकामनाएं।  याद रखिए, जीतते वही हैं जो यकीन रखते हैं की वो ऐसा कर सकते हैं।

एक खरगोश की काल्पनिक कहानी है -
एक खरगोश की काल्पनिक कहानी है -

                                                     
खरगोशों के स्कूल में उसे भर्ती किया जाता है। दूसरे खरगोशों की तरह वह बढ़िया कूदता था लेकिन तैर नहीं सकता था। साल के अंत में उसे कूदने के लिए बढ़िया अंक मिले न वो तैराकी में फेल हो गया। पैरेंट्स को चिंता हुई। पेरेंट्स ने खरगोश से कहा - में भूल जाओ, उसमे तो तुम अच्छे ही हो... सारा ध्यान तैराकी पर लगाओ। उन्होंने खरगोश की तैराकी की कोचिंग शुरू करवा दी। बताइए, आगे क्या हुआ? खरगोश भूल गया की कैसे कूदते हैं, जहां तक तैराकी का सवाल है क्या आपने किसी खरगोश को तैरते देखा है?

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Aslam Faruki

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