किताब में भारतीय मैनेजरों की दुनिया में पूछ की वजह बताई गई
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सुंदर पिचाई |
किताब में उन वजह के बारे में विस्तार से है, जिनसे भारतीय प्रबंधन सोच और व्यवहार को सॉफ्ट पावर के रूप में पहचान बनाने में मदद मिली है। एक्जीक्यूटिव रिसर्च फर्म एगॉन जेनडर की स्टडी में पता चला है की अमेरिका एसएंडपी 500 कंपनियों में अन्य देशों की तुलना में से ज्यादा भारतीय सीईओ की संख्या किताब में इसका जिक्र भी किया गया है। इसमें बताया है सैन साल्वाडोर हो या मिस्त्र में गरीबी भारत जितनी ही है।
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इंद्रा नूयी |
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सत्या नडेला |
आसानी से घुल - मिल जाना भी भारतीय मैनेजरों की बड़ी खूबी है
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आसानी से घुल - मिल जाना भी भारतीय मैनेजरों की बड़ी खूबी है |
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बड़ी कम्पनियां ई-मेल का जवाब नहीं देती थीं तो हाथ से लिखे पत्र भेज कर दिया बिजनेस ऑफर, आज सात हजार करोड़ रुपए का कारोबार चलाते हैं
बीएमडब्ल्यू, लॉरियल, उबर जैसी कंपनिया लेती हैं सेलोनिस की सर्विस
इंटरनेट और ई-मेल के जमाने में हाथ से लिखे पत्रों का चलन काफी कम हो गया है। खासकर व्यावसाइक जगत में इसका उपयोग न के बराबर होता है। लेकिन, जर्मनी की टेक्नॉलजी कंपनी सेलोनिस की सफलता के पीछे हाथ से लिखे पत्रों का बड़ा योगदान रहा रहा। 2011 में म्यूनिख में 22 साल के एलेक्ज़ेंडर रिंकें ने अपने दो दोस्तों मार्टिन क्लेंक व बास्तियन के साथ सेलोनिस नाम की कंपनी खोली। यह हाई टेक डेटा माइनिंंग आधारित स्टार्ट - अप था जो कंपनियों को सॉफ्टवयेर और आर्टिफिशियल इंटिलिजेंस की मदद से बिजनेस और कर्मचारियों के परफॉर्मेंस मॉनिटर करने, उनमे मौजूदा खामियों का पता लगाने और उपयुक्त समाधान सुझाने का काम करता था। क्लिक करके पूरा पढ़े...
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एलेक्जेंडर |
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