बड़ी कम्पनियां ई-मेल का जवाब नहीं देती थीं तो हाथ से लिखे पत्र भेज कर दिया बिजनेस ऑफर, आज सात हजार करोड़ रुपए का कारोबार चलाते हैं

बीएमडब्ल्यू, लॉरियल, उबर जैसी कंपनिया लेती हैं सेलोनिस की सर्विस 
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एलेक्जेंडर 
इंटरनेट और ई-मेल के जमाने में हाथ से लिखे पत्रों का चलन काफी कम हो गया है। खासकर व्यावसाइक जगत में इसका उपयोग न के बराबर होता है। लेकिन, जर्मनी की टेक्नॉलजी कंपनी सेलोनिस की सफलता के पीछे हाथ से लिखे पत्रों का बड़ा योगदान रहा रहा। 2011 में म्यूनिख में 22 साल के एलेक्ज़ेंडर रिंकें ने अपने दो दोस्तों मार्टिन क्लेंक व बास्तियन के साथ सेलोनिस नाम की कंपनी खोली। यह हाई टेक डेटा माइनिंंग आधारित स्टार्ट - अप था जो कंपनियों को सॉफ्टवयेर और आर्टिफिशियल इंटिलिजेंस की मदद से बिजनेस और कर्मचारियों के परफॉर्मेंस मॉनिटर करने, उनमे मौजूदा खामियों का पता लगाने और उपयुक्त समाधान सुझाने का काम करता था।
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बीएमडब्ल्यू, लॉरियल, उबर जैसी कंपनिया लेती हैं सेलोनिस की सर्विस लेट है। 

एलेक्जेंडर ने कई कंपनियों को बिजनेस का प्रस्ताव देने के लिए ई-मेल भेजा लेकिन, कोई जवाब नहीं आया।  फिर उन्होंने टाइप किए  पत्र भेजे फिर भी कहीं से जवाब नहीं आया आखिरी विक्लप के तौर पर एलेक्जेंडर ने अलग-अलग कंपनियों के सीईओ को हाथ से लिखा पत्र भेजना शुरू किया उन्हें मीटिंग के लिए जवाब आने लगे। एलेक्जेंडर बताते हैं, ज्यादातर कम्पनिया अनजान सोर्स से आने वाले ई-मेल को खोलती तक नहीं टाइप किय हुए पत्र भी सेक्रेटरी स्तर से आगे नहीं बढ़ रहे थे। लेकिन, हाथ से लिखे पत्रों में परसनल टच होता है। इसलिए हमारे हाथ से लिखे पत्र अपने लक्ष्य तक पहुंचने लगे और हमें रिस्पॉन्स भी मिलने लगा। 
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एलेक्जेंडर अपने दोस्तों के साथ मार्टिन और बास्तियन 
एलेक्जेंडर ने  रिंके ने 15 साल की उम्र में शुरू की थी पहली कंपनी 
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सेलोनिस 
बर्लिन के रहने वाले एलेक्जेंडर शुरुआत से ही उद्यमी बनना चाहते थे। उन्होंने ने 15 साल की  उम्र में अपनी पहली कंपनी खोली थी। वह कंपनी हाईस्कूल छात्रों को ट्यूशन के लिए शिक्षक मुहैया कराती थी। इसके बाद 2011 में कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई  करते हुए उन्हें सेलोनिस का आइडिया आया। वे एक प्रोजेक्ट के तहत मार्टिन और बास्तियन के साथ मिलकर एक कंपनी को कस्टमर सर्विस में सुधर करने के काम में जुटे। वहां काम करते हुए उन्हें पता चला कि किसी समस्या को दूर करने में कंपनी को पांच दिन तक समय लग रहा था लेकिन, कोई देरी की जिम्मेदारी लेने के लिए कोई तैयार नहीं था। फिर उन्होंने खामी खोजने के लिए ऐसा सिस्टम  का फैसला किया, जिसमे मानवीय और राजनितिक दखल की गुंजाइश न हो। इसी से सेलोनिस का जन्म हुआ। 

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हर मिनट दुनिया को दस लाख डॉलर की चपत लगाते हैं हैकर्स इसमें क शक नहीं है कि तकनीकी क्रांति ने लोगों की जिंदगी आसान बना दी है, लेकिन जानकारी के अभाव में यही तकनीक लोगों को बड़ा नुकसान भी पहुंचा रही है सैन फ्रांसिस्को की साइबर सिक्योरिटी कम्पनी रिस्कआईक्यू इंटरनेट पर हैकिंग की वारदाताओं के बारे में एक रिपोर्ट जारी की है। ,,,,,, क्लिक कर के पूरा पढ़े। 
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Aslam Faruki

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