इस तकनीक से उत्पादन भी शुरू कर दिया गया है। शुरुआत देहरादून के प्लास्टिक कचरे से जाएगी। इसके बाद डिमांड बढ़ने पर केंद्र सरकार के स्तर से तमाम शहरों में इस पहल आगे बढ़ाया जायेगा।
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भारतीय पेट्रोलियम संस्थान ( आईआईपी ) |
देहरादून से रोजाना करीब एक हजार किलो पलास्टिक उठाने का न सिर्फ इंतजाम हो गया है, बल्कि प्रतिदिन इससे 800 लीटर डीजल भी तैयार किया जायेगा। यह सब हो पाएगा भारतीय पेट्रोलियम संस्थान ( आईआईपी ) की तकनीक से। इसके लिए गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया ली. ( गेल ) ने संसथान को करीब 13 करोड़ रूपए वित्तीय मदद भी की है।
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गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया ली. ( गेल ) |
आईआईपी के निदेशक डॉ. अंजान रे के मुताबिक प्लास्टिक कचरे से ईंधन बनाने की तकनीक करीब पांच साल पहले ईजाद कर दी गई थी। इस तकनीक से न सिर्फ डीजल, बल्कि पेट्रोल व एलपीजी भी तैयार किया जा सकता है। इसके लिए संसथान , में प्रयोगशाला स्तर का प्लांट भी लगाया है। हालाँकि बड़े स्तर पर करीब क्षमता के प्लांट डीजल किया जायेगा।
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इस तकनीक से न सिर्फ डीजल, बल्कि पेट्रोल व एलपीजी भी तैयार किया जा सकता है |
इस तकनीक से उत्पादन भी शुरू कर दिया गया है। शुरुआत देहरादून के प्लास्टिक कचरे से जाएगी। इसके बाद डिमांड बढ़ने पर केंद्र सरकार के स्तर से तमाम शहरों में इस पहल आगे बढ़ाया जायेगा। आईआईपी वैज्ञानिक डॉ. सनत कुमार के अनुसार एक टन के प्लांट में जो डीजल तैयार क्या जाएगा, उसकी दर करीब 50 रूपए प्रति लीटर बैठेगी।
इस तरह बनेगा ईंधन
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इस तरह बनेगा ईंधन
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प्लास्टिक कचरे को पहले सुखाया जाता है। इसके बाद इसे सीलबंद भटठी में डालकर ऑक्सीजन की अनुपस्तिथि में तेज आंच में पकाया जाता है। जिससे प्लास्टिक भाप में परिवर्तित हो जाता है। इस भटठी से एक पाइप जुड़ा होता है, जो एक पावर टैंक में जाता है और भाप को इसमें स्टोर किया जाता है। इस टैंक की सतह में जमा पानी को छूटे हुए भाप को एक अन्य टैंक में भेजा जाता है। इस प्रक्रिया में भाप ईंधन बन जाती है। इसे रिफ़िने कर पेट्रोल या डीजल बनाया जा सकता है। हालाँकि पूरी भाप तरल अवस्था में नहीं आ पाती है और वाटर टैंक के ऊपरी हिस्से में जमा हो जाता है। इसका प्रयोग एलपीजी बनाने में किया जाता है।
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टिमोथी डोनाल्ड कुक एक अमेरिकी व्यापार कार्यकारी, परोपकारी और औद्योगिक इंजीनियर है। कुक ऐप्पल इंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं, और पहले अपने कोफ़ाउंडर स्टीव जॉब्स के तहत कंपनी के मुख्य परिचालन अधिकारी के रूप में कार्य किया था। |
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