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कम्युनिकेशन स्किल्स हमेशा एक स्मार्ट इन्वेस्टमेंट साबित होता हैं। |
एक सफल आंत्रप्रेन्योर बनने के लिए आपको एक अच्छे आइडिया साथ कस्टमर्स के बिच उसे लोकप्रिय बनाने वाले वैल्यू प्रपोज़िशन प्रपोजिशन की जरुरत होता है। इसके अलावा आपको प्रभावशाली कम्युनिकेटर भी बनना होता है जो लीड करने के साथ दूसरों को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सके। मौका चाहे किसी पोटेंशियल इन्वेस्टर को आइडिया पिच करने का हो या अपने नए हायर्स पर अच्छा इंप्रेशन डालने का, प्रभावी वर्बल कम्युनिकेशन स्किल्स हमेशा एक स्मार्ट इन्वेस्टमेंट साबित होता हैं। यहां ऐसी ही कुछ स्किल्स की बात की जा रही हैं।
नॉन -वर्बल क्यूज समझना: नॉन वर्बल एलिमेंट्स यानि बॉडी लैंग्वेज व् फेशियल एक्सप्रेशंस, कम्युनिकेशन में महत्वपूर्ण भूमिका ऐडा हैं। ये बता सकते है की आपके सामने मौजूद व्यक्ति क्या सोच व् मह्सुस कर रहा है। एक्सपर्ट कम्युनिकेटर्स अपने क्यूज का ध्यान तो रखते ही हैं, साथ ही वे अन्य लोगों के नॉन वर्बल क्यूज को समझने और उनके अनुसार रिएक्ट करने में भी महारत रखते हैं। इसका फायदा यह होता है की वे कॉन्वर्सेशंस को असानी से अपनी पसंदीदा दिशा में गाइड कर पाते हैं।
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नॉन-वर्बल क्यूज समझना |
एक्टिव लिसनर बनना: एक सक्सेजफुल कम्युनिकेटर बनने के लिए स्किल बेहद जरुरी है। यह एक ऐसी खूबी है जिसे लिसनर्स में स्पीकर्स खुद-ब-खुद नोटिस करते हैं। ध्यान रखें किसी स्पीकर को पूरी अटेंशन के साथ सुनने के कई फायदे हो सकते हैं। स्टडीज बताती हैं कि वर्कप्लेस पर एक्टिव लिसनिंग से एम्प्लॉइज की प्रोडक्टिविटी, जॉब सैटिस्फेक्शन व आपसी संबंधो को बेहतर बनाया जा सकता है। इससे मिसकम्युनिकेशन का रिस्क कम होता है और काम के प्रति फोकस बढ़ता है।
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एक्टिव लिसनर बनना |
इमोशनल कनेक्शन से कॉन्वर्सेशन को प्रभावी बनाना: प्रभावशाली कम्युनिकेटर्स अपनी ऑडिएंस के साथ एक इमोशनल कनेक्शन बनाकर कॉन्वर्सेशन को विश्वसनीय बनाने में सक्षम होते हैं। मसलन वे यह बता सकते हैं की वे किन बातों की सबसे अधिक परवाह करते हैं और वह क्या चीज है जो उन्हें मोटीवेट करती है। वे कॉन्फिडेंट दिखने के लिए एक फेक पर्सेनेलिटी का निर्माण नहीं करते और अपने पैशन को एक अनूठे तरीके से पेश करते हैं जिससे अन्य लोगों को उनका विजन समझने में मुश्किल नहीं होता।
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