अगर आप आंत्रप्रेन्योर बनना चाहते हैं तो जितना संभव हो उतनी जानकारियां इकठ्ठा करें, आप जो उत्पाद बनाना चाहते हैं उसे महसूस करें और कभी भी उत्पाद को बनाने के तरीकों से अनजान न रहें।
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अगर आप आंत्रप्रेन्योर बनना चाहते हैं तो ये तीन शुरूआती मंत्र याद रखें। |
आंत्रप्रेन्योर बनने के तीन शुरूआती मंत्र।
- किसी बिजनेस आइडिया में आपकी रूचि है तो सभी संभव जानकारियां खोजें।
- आपको किसी उत्पाद की गुणवत्ता के चरण का अनुभव करना चाहिए, जैसे उसका स्वाद कैसा है, वह कैसा दीखता है।
- भले ही आपको इसे खुद न बनाना हो, फिर भी आप्को उत्पादन प्रक्रिया पता होना चाहिए। ये रही कुछ जानकारी।
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इस सोमवार सुबह, कॉलेज लड़के ने मुझसे संपर्क किया और पूछा की ऐसा व्यक्ति कहां मिलेगा जो टॉय इंडस्ट्री की सामान्य जानकारी दे सके। मुझे आश्चर्य हुआ क्योंकि लंबे समय बाद किसी ने कुछ हटके पूछा था। उसे यह आईडिया यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस रविवार प्रसारित मन की बात से आया जिसमे उन्होंने स्टार्टअप्स और आंत्रप्रेन्योर्स से घरेलु मांग पूरी करने के लिए भारत के लिए, खिलौने और गेम्स विकसित करने को कहा। फिर मैंने उससे चन्नापट्टना गूगल करने को कहा, जो कर्नाटक के रामनगरम जिले में एक शहर है, जिसे टॉय सिटी का दर्जा प्राप्त है।
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मैंने उसे बताया की 2011 की जनगणना के हिसाब से वहां 254 होम मेन्युफेक्चरिंग यूनिट और 50 से ज्यादा छोटी फैक्ट्री हैं जो लकड़ी के खिलौने बनाती हैं। इन खिलौने की उत्पत्ति 200 साल पहले तक मानी जाती है इन्हे टीपू सुल्तान के शासनकाल से जोड़ा जाता है, जिसने स्थानीय लोगों को लकड़ी के खिलौने बनाना सिखाने के लिए पार्शिया से शिल्पकार बुलाए थे। मैं भी बचपन में ऐसे कई खिलौने से खेलता था चूंकि मेरे पिता इन्हे सुरक्षित मानते थे क्योंकि निर्माता इन्हे बनाने में पारंपरिक लकड़ी और सब्जियों के रंग का इस्तेमाल करते थे।
जब मैं इस अख़बार के युवा पाठक से चर्चा कर रहा था, तभी भोपाल के मेरे एक सहयोगी ने वॉट्सअप पर मुझे एक फोटो भेजी। फोटो सबकुछ खुद बयां कर रही थी। एक आदमी अच्छी तरह से सजे-धजे, व्यवस्थित ठेले के पास खड़ा था, जिससे समझ आ रहा था की उसने दुकान का नाम इंजिनियर चायवाला क्यों रखा था। ठेले के एक तरफ उसका बायोडाटा लिखा था मैं एक सॉफ्टवेयर इंजिनियर हूं और विप्रो से लेकर बिजनेस इंटेलिजेंस जैसी कंपनियों में काम कर चूका हूं। मैं हमेशा से बिजनेस करना चाहता था। हर रोज मेरी टेबल पर चाय आता था पर मुझे कभी बेहतरीन चाय नहीं मिला। मैं सोचता था की मुझे अच्छी चाय पिने कब मिलेगी? इसलिए मैंने यह छोटी-सी शुरुआत की है। आज वह नागपर में इम्युनिटी चाय से लेकर मसाला चाय तक बेच रहा है।
जो लोग गोवा के कलांगुटे-कैंडोलिम टूरिजम बेल्ट के रेस्त्राओं के नियमित ग्राहक रहे हैं, वे आज कह रहे हैं की महामारी के बाद यहां के स्वाद में गिरावट आई है। कलानगुटे शैक ओनर्स वेलफेयर सोसायटी के जनरल सेकेरेट्री जॉन लोबो मानते हैं की इसके पीछे दो कारण हैं: अच्छे शेफ, जो गोवा के नहीं थे, वे वापस चले गए हैं और वेटर से लेकर बर्तन धोने वाले तक अब रेस्त्रां में खाना बना रहे हैं।
इससे मुझे ओपी मुंजाल की याद आई, जिन्हे साईकिल मैन ऑफ़ इण्डिया कहा जाता है। एक बार उन्होंने अपनी आस्तीनें ऊपर चढ़ाई, एक स्प्रे कैन लिया और पंजाब में हड़ताल के कारण बंद हुई फैक्ट्री में खुद ही साइकिलें तैयार करने लगे।
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