कहते हैं की बूंद-बूंद से सागर बनता है, पैसा-पैसा जमा करके हजार बनता है।
इसी तरह कुछ छोटे-छोटे खर्चों और फिजूलखर्चों को नियंत्रित करके आप भी एक बड़ी बचत कर सकते हैं।
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हर पैसे की कीमत है... |
आप के हाथ में एक सौ रूपए का नोट है और दूसरे हाथ में दस-दस के दस सिक्के। पहले कौन से सौ रूपए खर्च होंगे? जाहिर है छुट्टे ही खर्च करेंगे। सौ रूपए हो या दो हजार रूपए, जितने छुट्टे होंगे उतने ही जल्दी खर्च भी होंगे। यही हाल हमारे दैनिक वित्त का भी है। हम बड़े खर्चों का हिसाब तो रखते हैं लेकिन एक-दो रूपए करके महीने में कितने राशि खर्च कर बैठते हैं इसका कोई हिसाब नहीं है। ऐसे में दैनिक खर्चों पर नजर रख कर ही हिसाब रखा जा सकता है।
एक दो रूपए छोटे नहीं
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एक दो रूपए छोटे नहीं |
दुकान से सामान लेने के बाद एक-दो रूपए का छुट्टा अक्सर छोड़ देते हैं या फिर बस में 9 रूपए के टिकट लिए 10 रूपए देकर एक रूपया वापस नहीं लेते। इनका हिसाब लगाया जाय तो हम कुल मलकर इन पर बड़ा खर्च कर देते हैं। अगर इन छुट्टे पैसों के बदले दुकानदार टॉफिया भी पकड़ाता है तो यह भी खर्च ही तो है। ऐसे में रकम को छोटा समझकर छोड़े नहीं जरुरत समझकर वापस लें। अगर सामने वाले व्यक्ति के पास छुट्टा नहीं है तो उसे छुट्टे पैसे ही दे। जैसे चार रूपए के लिए पांच का सिक्का न देकर छुट्टे चार रूपए ही दें। वहीं टॉफी के बदले कोई जरुरी चीज लें जो फिजूल न हो।
आदत में कटौती
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आदत में कटौती |
कुछ लोगों को बाहर का चाय ज्यादा पसंद आता है। अगर आप भी उनमें से हैं रोज बाहर चाय पिने के बजाय कभी-कभी ऑफिस का ही चाय पिने की आदत डालें। अगर ऑफिस में चाय की सुविधा नहीं है तो अपना चाय घर से लेकर चल सकते हैं। इससे सिर्फ पैसे की बचत ही नहीं बल्कि सेहत का सुरक्षा भी होगा। बाहर का भोजन खाने के बजाय घर से खाना का डिब्बा लाएं। इसके अलावा मोबाइल रिचार्ज पर भी कटौती करें क्योंकि सबसे ज्यादा खर्चा इन्हीं में होता है। अगर महीने भर का इंटरनेट ख़त्म हो गया है तो अगले महीने का इंतजार करें। पोस्टपेड की बजाय प्रीपेड सिम रखें।
नकद या ई-मनी का चुनाव
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नकद या ई-मनी का चुनाव |
आजकल ई-वॉलेट से काफी सहूलियत हो गए हैं। अमूमन लोग इसके साथ बैंक खता भी लिंक करके रखते हैं। जब वॉलेट का रकम ख़त्म हो जाता है तो इसमें तुरंत पैसा डाल लेते हैं। ऐसे में वॉलेट से कितन पैसा खर्च कर रहे हैं क्या इसका हिसाब आपने रखा है? चाय, नाश्ते जैसे छोटे-छोटे खर्चों का भुगतान ई-वॉलेट से कर रहे हैं तो इसके लिए बजट तैयार करें। इसी रकम में गुजरा करें। अगर पैसा ख़त्म हो गया है तो अगले महीने का इंतेजार करें। बजट तय कर रहे हैं तो नकद या ई-वॉलेट में से कोई एक चुनें। उन वॉलेट का इस्तेमाल इन खर्चों में न करें जो सीधा बैंक खाते से लिंक होते हैं। इससे सीधा आपके बैंक खाते से पैसा कटेगा जिसका हिसाब आप शायद ही रखें।
खर्चों की सूचि
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खर्चों की सूचि |
अलग से एक छोटा डायरी बनाएं। इसमें अपने खर्चों की सूचि तैयार करें। सभी खर्चों को श्रेणी के हिसाब से बांटे। उदाहरण के तौर पर दफ्तर में खाने-पिने का खर्च, रोज की चाय, बस का टिकट आदि। इसी के मुताबिक इनका बजट तैयार करें। जब आप एक बजट तैयार कर लेंगे तो खर्चों का हिसाब लगाना आसान हो जाएगा। इसके अलावा कभी-कभी सड़क पर किसी जरूरतमंद को दिए गए एक-दो रूपए भी डायरी में लिखें। डायरी को बैग में रखकर भी चल सकते हैं ताकि मौके पर हिसाब भी लिख सके और खर्चों की सूचि अधूरा न रह जाए।
तकनीक की मदद लें
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तकनीक की मदद लें |
खर्चों पर नजर रखने के लिए तकनीक मदद कर सकता है। कई मोबाइल एप्प्स मौजूद हैं जो आपके छोटे और बड़े खर्चों का हिसाब रख सकता है। बस इसमें हर छोटा-बड़ा खर्च नोट करने की आदत डालें। इसे मनी मैनेजर के नाम से प्ले स्टोर में खोज सकते हैं। इनमे खर्चों की सूची और बजट की सुविधा आसानी से मिलता है।
बचत का प्रयोग
एक छोटा-सा प्रयोग करके देखें। एक मिटटी की गुल्लक लें और रोजमर्रा के लिए थोड़े छुट्टे पैसे छोड़कर, बाकि रोज मिलती रोजगारी को गुल्लक में जमा करना शुरू करें। अगर 10-15 रूपए भी रोज अपने गुल्लक में जमा करेंगे तो महीने के अंत में एक-दो हजार रूपए आपका गुल्लक आपको लौटाएगा। बशर्ते इस बिच इसे तोडा न जाए।
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